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भगवान बुद्ध और उनका धम्म आत्मशुद्धि से सामाजिक जागरूकता तक

  भगवान बुद्ध और उनका धम्म आत्मशुद्धि से सामाजिक जागरूकता तक भूमिका भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ केवल आत्मज्ञान या ध्यान-साधना तक सीमित नहीं थीं। उनका धम्म (धर्म) एक ऐसी जीवन पद्धति है जो व्यक्ति को आत्मिक शुद्धि के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी की ओर भी प्रेरित करता है। बुद्ध ने कभी अंधविश्वास, रहस्यवाद या परंपरा के आधार पर सत्य को स्वीकारने की बात नहीं कही। उनका आग्रह था कि हर बात को अनुभव, परीक्षण और तर्क की कसौटी पर कसा जाए। धम्म का सही अर्थ धम्म कोई रहस्य या केवल गूढ़ साधना नहीं है, बल्कि एक व्यावहारिक और सार्वभौमिक जीवन पद्धति है। कुछ लोग बुद्ध के धम्म को केवल समाधि और ध्यान से जोड़ते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि धम्म को कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अनुभव कर सकता है। बुद्ध ने धम्म को तीन स्तरों में समझाया: अधम्म (Not-Dhamma) – हिंसा, झूठ, वासना, द्वेष जैसे नकारात्मक कर्म। धम्म (Shuddh Dhamma) – नैतिक आचरण और शुद्ध जीवन। सद्धम्म (Saddhamma) – परिपक्व, जागरूक और निर्मल जीवन शैली। तीन प्रकार की पवित्रताएँ जीवन को पवित्र और निर्मल बनाने के लिए बुद्ध ने तीन प्रमु...

स्टीव जॉब्स और बौद्ध धर्म: सवालों से शुरू हुई यात्रा

स्टीव जॉब्स और बौद्ध धर्म: सवालों से शुरू हुई यात्रा

स्टीव जॉब्स बचपन से ही जिज्ञासु थे और हर चीज़ पर सवाल उठाते थे। वे अपने माता-पिता के साथ चर्च जाया करते थे, लेकिन 13 साल की उम्र में उनकी सोच ने निर्णायक मोड़ लिया। उस समय Life पत्रिका में अफ्रीका के बियाफ्रा क्षेत्र के भूख से मरते बच्चों की तस्वीर छपी। इस दृश्य ने जॉब्स को अंदर तक हिला दिया।

उन्होंने रविवार स्कूल में पादरी से सवाल किया:
“क्या भगवान जानते हैं कि अगर मैं अपनी उंगली उठाऊँ तो मैं क्या करने वाला हूँ?” पादरी ने जवाब दिया, “हाँ, भगवान सब जानते हैं।”
फिर जॉब्स ने पूछा, “तो इन बच्चों का क्या? भगवान यह भी जानते हैं कि ये भूख से क्यों मर रहे हैं?”

जब उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो उन्होंने चर्च जाना छोड़ दिया। यह उनके जीवन का पहला बड़ा विद्रोह था—अंधविश्वास और परंपरा के बजाय सच्चाई और अनुभव की खोज।

बाद में जॉब्स ने बौद्ध धर्म, खासकर ज़ेन बौद्ध धर्म, का गहन अध्ययन किया। उन्हें इसमें एक ऐसा रास्ता मिला जहाँ ध्यान (meditation), अनुभव (experience) और आत्मचिंतन (self-reflection) को महत्व दिया जाता है, न कि केवल धार्मिक नियमों और डॉग्मा को। वे कहते थे कि धर्म का असली मकसद जीवन को जीना और अनुभव करना है।

जॉब्स मानते थे कि “सभी धर्म अलग-अलग दरवाज़े हैं, जो एक ही रहस्यमयी घर की ओर ले जाते हैं।” कभी-कभी वे यह भी कहते कि शायद वह घर है भी, और शायद नहीं। लेकिन इस खोज ने उन्हें जीवनभर प्रेरित किया।
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इस तरह, स्टीव जॉब्स ने बौद्ध धर्म इसलिए अपनाया क्योंकि उन्होंने धर्म को अंधविश्वास नहीं, बल्कि एक अनुभव और आत्म-खोज की यात्रा के रूप में समझा।

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