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नैमिषारण्य तीर्थ का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व और धर्मचक्र का वास्तविक अर्थ

  नैमिषारण्य तीर्थ का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व और धर्मचक्र का वास्तविक अर्थ प्रस्तावना नैमिषारण्य (चक्र तीर्थ) उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में स्थित एक प्राचीन तीर्थ है। ऋषियों की तपोभूमि, ज्ञान एवं साधना का केंद्र, और बहुधार्मिक परंपराओं—हिंदू, बौद्ध, जैन—में किसी न किसी रूप में इसका उल्लेख मिलता है। प्रश्न यह है कि क्या यह केवल आस्था का स्थल है, या इसके पीछे कोई गहन दार्शनिक संकेत भी निहित है? “नैमिषारण्य” को तीन भागों में समझा जा सकता है—‘नै’ (क्षण/क्षणिक), ‘मिष’ (दृष्टि), ‘अरण्य’ (वन)। भावार्थ है—ऐसा वन जहाँ क्षणभर में आत्मदृष्टि या आत्मबोध संभव हो। प्राचीन ग्रंथों में नैमिषारण्य ऋग्वेद, रामायण, महाभारत और अनेकों पुराणों में इस क्षेत्र का विस्तार से वर्णन है। महाभारत परंपरा में इसे वह स्थान माना गया जहाँ वेदव्यास ने पुराणकथा-वाचन की परंपरा को स्थिर किया। पांडवों के वनवास प्रसंगों में यहाँ ध्यान-तप का उल्लेख मिलता है। रामायण में शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर-वध और इसके धार्मिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठा का वर्णन है। स्कन्द पुराण इसे “तीर्थराज” कहता है; शिव पुराण में शिव-प...

कुंभ, संत कबीर और ढोंगी बाबाओं का सच: असली संत कौन?

 कुंभ, संत कबीर और ढोंगी बाबाओं का सच: असली संत कौन?

परिचय

कुंभ महापर्व आस्था और अध्यात्म का संगम है, जहाँ लाखों लोग मोक्ष और आत्मज्ञान की खोज में आते हैं।
लेकिन क्या उन्हें असली अध्यात्म मिलता है, या वे पाखंडी बाबाओं और ढोंगी संतों के जाल में फंस जाते हैं?
आज कुंभ में कई ऐसे कथित साधु और नागा बाबाओं का जमावड़ा दिखता है जो धर्म की आड़ में धंधा कर रहे हैं,
अंधविश्वास फैला रहे हैं और भोले-भाले श्रद्धालुओं को ठग रहे हैं। क्या यही सन्यास और संतई है?

अगर कोई सच में संतई की राह पर चलना चाहता है, तो उसे संत कबीर को पढ़ना चाहिए।
कबीर ने जीवनभर पाखंड, कर्मकांड और धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे झूठ का विरोध किया
और यह सिखाया कि संसार के बीच रहकर भी सच्चा संत बना जा सकता है।

तो आइए समझते हैं – असली संत कौन? और ढोंगी बाबाओं की पहचान कैसे करें?




संत कबीर का संदेश: असली संत कैसा होता है?

1. संत वही, जो संसार में रहते हुए भी संत हो

कबीर ने दिखाया कि घर-गृहस्थी में रहते हुए भी आध्यात्मिक जीवन जिया जा सकता है।

"घर में रहे तो साधु कहावे, बाहर रहे तो जोगी।
साधु वही, जो जगत में रहे, पर मन से रहे निरोगी।।"

✔ उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागने की जगह, उसे सुधारने पर जोर दिया।
✔ उन्होंने कर्म को सबसे बड़ा धर्म माना, न कि जंगलों में भटकने को।
✔ आज के बाबाओं की तरह अपने लिए महलनुमा आश्रम नहीं बनाए, बल्कि सादगी में जिए।


2. कर्मकांड और बाहरी दिखावे से दूर रहो

कबीर ने सिखाया कि सच्ची साधुता कपड़ों, माला-तिलक, या बड़े-बड़े यज्ञों में नहीं,
बल्कि आचरण में होती है।

"माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मन का डारि के, मन का मनका फेर।।"

✔ सच्चा संत वही है, जो करुणा, सच्चाई और सेवा का पालन करे।
✔ जो धर्म के नाम पर चमत्कार, तंत्र-मंत्र और झूठे दावे करे, वह ढोंगी है।
✔ भगवा कपड़े पहनने, नागा बनने या जटाएं बढ़ाने से कोई संत नहीं बनता।


3. ईश्वर को बाहर मत खोजो, अपने भीतर देखो

आज के ढोंगी बाबा मंदिरों, मूर्तियों और कर्मकांडों के जरिए ईश्वर की खोज करवाते हैं,
लेकिन कबीर ने कहा:

"पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़।
ताते ये चक्की भली, पीस खाए संसार।।"

✔ भगवान न मंदिरों में हैं, न तीर्थों में, बल्कि तुम्हारे अंदर हैं।
✔ कर्म, प्रेम और सेवा के बिना कोई भी व्यक्ति मोक्ष नहीं पा सकता।
✔ मंत्र, ताबीज, भभूत और प्रसाद से कोई समस्या हल नहीं होगी—सिर्फ मेहनत से होगी।


🚨 ढोंगी बाबाओं की पहचान: नकली संतों से सावधान!

आजकल धर्म के नाम पर कई फर्जी साधु और गुरु लोगों को ठग रहे हैं।
ये नकली बाबा कुंभ जैसे आयोजनों में भारी भीड़ जुटाकर धर्म का धंधा कर रहे हैं।

1. दिखावे की साधुता, अंदर से भ्रष्ट

✔ बड़ी-बड़ी जटाएं, शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष की माला—पर मन में लालच!
✔ महंगे आश्रम, VIP भक्त, सुरक्षा गार्ड और राजनेताओं से संपर्क।
✔ गाड़ियों के काफिले और विलासिता में जीवन—क्या यही सन्यास है?

कबीर की चेतावनी:

"मूँड़ मुंडाए हरि मिले, तो सब कोई ले मूंड।
बार-बार के मूँड़ते, भेड़ न बैकुंठ।।"
(सिर्फ सिर मूंड लेने से कोई संत नहीं बन जाता, वरना भेड़ भी बैकुंठ चली जाती!)


2. पैसा, प्रसिद्धि और राजनीति में लिप्त

✔ यज्ञ, हवन, और दान के नाम पर लाखों की ठगी।
✔ बाबाओं का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल, राजनीतिक पार्टियों से गठजोड़।
✔ "दान दो, सब पाप कट जाएंगे!"—क्या सच में ऐसा होता है?

कबीर की सीख:

"जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।"
(साधु का ज्ञान देखो, उसकी जाति, वेशभूषा और दिखावा नहीं!)


3. चमत्कारों और तंत्र-मंत्र का धंधा

✔ "यह भभूत लगा लो, कष्ट खत्म हो जाएंगे!"
✔ "इस मंत्र से धनवर्षा होगी!"
✔ "यह ताबीज पहन लो, ग्रह-नक्षत्र सही हो जाएंगे!"
सच्चा संत कभी चमत्कार का दावा नहीं करता!

"गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।"
(जो सच्चा गुरु है, वह ईश्वर का मार्ग दिखाएगा, ना कि चमत्कारों से भ्रमित करेगा।)


4. नशे, भोग और महिलाओं का शोषण

✔ नागा बाबाओं के नाम पर गांजा, भांग और शराब का व्यापार।
✔ "साध्वी सेवा" के नाम पर महिलाओं का शोषण।
✔ ड्रग्स, सेक्स स्कैंडल और अपराधिक गतिविधियों में लिप्त बाबा।
यही कारण है कि कई ढोंगी बाबा जेल में हैं!

"काम, क्रोध अरु लोभ, मोह, यह सब में दीख।
साधू ना जाने इनते, कहे कबीर मैं सीख।।"
(काम, क्रोध, लोभ, मोह में जो फंसा है, वह साधु नहीं हो सकता!)


🚨 कुंभ में आए हो? असली संत खोज रहे हो? तो ध्यान रखो!

🔥 ढोंगी बाबाओं से बचने के 5 नियम:

✅ जो धन, राजनीति और प्रसिद्धि में रुचि रखता हो—वह संत नहीं!
✅ जो चमत्कारों और तंत्र-मंत्र का धंधा करता हो—वह ठग है!
✅ जो भोग-विलास में लिप्त हो—वह पाखंडी है!
✅ जो धर्म के नाम पर डर फैलाता हो—वह स्वार्थी है!
✅ जो काम, क्रोध, लोभ, मोह से मुक्त न हो—वह ढोंगी है!

🚨 सावधान! असली संत को पहचानो, कबीर को पढ़ो, और पाखंडियों से बचो!


💡 निष्कर्ष: कबीर का रास्ता अपनाओ, ढोंगी बाबाओं से बचो

आज के नकली संत धर्म को व्यापार बना चुके हैं।
वे समाज को तोड़ रहे हैं, अंधविश्वास फैला रहे हैं, और अध्यात्म को बिगाड़ रहे हैं।

✔ धर्म का मतलब कर्मकांड नहीं, सेवा है।
✔ सच्चा संत समाज को जोड़ता है, न कि बांटता है।

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